138- विभूतिपुर विधान सभा क्षेत्र की जनता की यही पुकार, अबकी बार अजय कुमार।
समस्तीपुर ज़िले के विभूतिपुर विधान सभा सीट से महागठबंधन समर्थित सी०पी०आई०(एम) के उम्मीदवार हैं-अजय कुमार। अजय कुमार वर्तमान में सी०पी०आई०(एम) बिहार राज्य सचिव मंडल के सदस्य हैं। आंदोलन और अजय कुमार का साथ बहुत पुराना है। जब वो हाई स्कूल के छात्र थे तभी सी०पी०आई०(एम) के छात्र मोर्चा स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एस०एफ़०आई०) से जुड़ गए थे। 1985 में बी०आर०बी० कॉलेज समस्तीपुर के एसएफ़आई यूनिट के सचिव बनाए गए। 1986 में समस्तीपुर ज़िला इकाई के संयुक्त सचिव बने और 1986 में जिला-अध्यक्ष के पद पर नियुक्त हुए, जिस पद पर 1996 तक रहे। इस दौरान अजय कुमार ने एस०एफ़०आई० के बिहार राज्य के संयुक्त सचिव और उपाध्यक्ष पदों की जिम्मेदारी संभाली।
1987 में सी०पी०आई०(एम) की सदस्यता ग्रहण करने वाले अजय कुमार ने पार्टी के युवा मोर्चा भारत की जनवादी नौजवान सभा (डी०वाई०एफ०आई०) के समस्तीपुर ज़िला-अध्यक्ष तथा राज्य के संयुक्त सचिव तथा राज्य- उपाध्यक्ष पद का भी कार्यभार संभाला। छात्र और नौजवान मोर्चों पर अपनी ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाने के बाद अजय कुमार को 1992 में पार्टी के समस्तीपुर जिला कमिटी का सदस्य बनाया गया। 2002 में ये पार्टी की समस्तीपुर ज़िला कमिटी के सचिव बनाए गए, जिस पद पर 2015 तक रहे। इस दौरान 2005 में इन्हें राज्य सचिव मंडल सदस्य निर्वाचित किया गया।
स्नातकोत्तर तथा एल०एल०बी० की पढ़ाई करने वाले अजय कुमार अपने छात्र जीवन से ही आंदोलनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व करते रहे हैं। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान हमारे देश में किरोसिन तेल का संकट पैदा हो गया था। किरोसिन तेल न मिल पाने के कारण छात्रों को पढ़ने में समस्या आ रही थी। अजय कुमार के नेतृत्व में एस० एफ० आई० ने आंदोलन किया। उसके बाद विभूतिपुर के हाईस्कूल में छात्रों को मुफ़्त किरोसीन तेल मुहैय्या कराया गया। यह व्यवस्था पाँच साल पहले तक चली आ रही थी। बी०आर०बी० कॉलेज में उनके नेतृत्व में एक आनोखा आंदोलन हुआ। राज्य के कॉलेजों में सामान ख़रीद की कमिटी तथा छात्रों की फीस-माफ़ी कमिटी में केवल शिक्षक होते थे। लेकिन बी०आर०बी० कॉलेज के छात्रों ने माँग की कि इन दोनों कमिटियों में छात्रों का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया जाए। छात्रों के बीस दिन की हड़ताल के बाद कॉलेज प्रशासन को यह माँग माननी पड़ी और सभी कक्षाओं से एक-एक छात्र-प्रतिनिधि को उन दोनों कमेटियों मे रखा गया। 1992-93 में समस्तीपुर में सरकारी बसों तथा सिनेमा हॉल की टिकिटों में छात्रों को छूट देने का सफल आंदोलन किया गया।
अजय कुमार के दादा और नाना तो ज़मींदार थे, लेकिन उनके पिता मंझोले क़िस्म के कृषक हैं। ये दो भाई और दो बहन हैं और उनका पूरा परिवार कम्यूनिस्ट पार्टी का सदस्य है। कम्यूनिस्ट पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता का जीवन जिस तरह के संघर्षों से भरा होता है, ठीक वैसा ही जीवन अजय कुमार भी जीते हैं। समस्तीपुर के इलाक़े में सामाजिक अपराध और हत्या सहित कई मामले सामने आते रहते हैं। इन समस्याओं से जूझते हुए जनता के साथ खड़े रहने का नतीजा है कि उन्हें थोड़े-थोड़े समय के लिए तीन बार जेल जाना पड़ा और उनके नाम पर कई सारे एफ०आई०आर० दर्ज हैं। फ़िलहाल उनके ऊपर तीन मुक़दमा चल रहा है। पार्टी सचिव के पद पर रहते हुए उनकी यह उपलब्धि मानी जाएगी कि पार्टी सदस्यों की हत्या के आरोपियों को जेल की सज़ा भी हुई।
अजय कुमार पिछले दो विधान सभा चुनाव उजियारपुर विधान सभा से लड़े और दोनों बार उन्हें 19 हज़ार से अधिक वोट मिले। कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता होने के नाते ये लगतार आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। पार्टी के समस्तीपुर ज़िला सचिव के उनके कार्यकाल के समय से ही सीलिंग से अधिक ज़मीन का आंदोलन चल रहा था जो रायपुर के महंत के कब्जे में थी। हाईकोर्ट में लम्बे समय तक चले केस के बाद इसी साल रायपुर गाँव नें 300 परिवार तथा चंदौली गाँव में 350 परिवार को जमीन का पर्चा मिला है। भूमिहीनों को मिलने वाली इस जीत में अजय कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
पिछले दिनों सरकार द्वारा राज्य भर में जल, जीवन-हरियाली के नाम पर नदी, नाले, पोखर, तालाब आदि के किनारे बसे भूमिहीन लोगों को उजाड़ने के अभियान की शुरुआत की गई। अजय कुमार के नेतृत्व में सी०पी०आई०(एम) ने इस बेदखली अभियान का विरोध किया। फिलहाल इस बेदखली अभियान को सरकार ने स्थगित कर दिया है। पिछले दिनों दलसिंह सराय में ग्राहक केंद्र (सी०एफ०टी०) में 2 करोड़ के गबन का मामला सामने आया। अजय कुमार के नेतृत्व में पार्टी ने 18 दिनों तक अनशन किया। उसके बाद 1 करोड़ 60 लाख रुपये जनता को वापस किये गये, जो उनके ख़ून-पसीने की कमाई थी।
जनता के अधिकारों के लिए आंदोलन तथा संघर्ष करने के अलावा अजय कुमार को पढ़ने में भी विशेष रुचि है। कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं और आंदोलनकारियों की जीवनी पढ़ना उन्हें खासतौर पर पसंद है। पार्टी का साहित्य पढ़ने के साथ-साथ गोर्की तथा प्रेमचंद का साहित्य भी चाव से पढ़ते हैं।
सम्पत्ति के नाम पर अजय कुमार के पास 50 हज़ार रुपये और एक मोटरसाइकिल है।