सार्वजनिक शिक्षा – सार्वजनिक शिक्षा के संबंध में असर द्वारा नीतीष कुमार के गृह जिला नालंदा के 60 गाँवों में किये गये सर्वेक्षण से बिहार सरकार द्वारा 06 वर्षों के बच्चों के नामांकन के संबंधों में किये गये दावों की पोल खुल जाती है। राष्ट्रीय षिक्षा नीति के अनुषंसा के आधार पर 4 से 5 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक षिक्षा के पूर्व चलाये जाने वाले षिक्षा केन्द्रों में नामांकित किया जाना चाहिये। 5 वर्ष के 73.4 प्रतिषत बच्चे का ही नामांकन हो पाता है। इस सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि प्रथम वर्ग में 5 से लेकर 8 वर्ष के बच्चोें का नामांकन हुआ। आज भी इस उम्र के बच्चे बड़ी संख्या में विद्यालय से बाहर है। गुणवत्ता के हिसाब से इन छात्रों में अक्षरों की पहचान, गणित की समझ, भावनाओं की समझ, रंग पहचानने की क्षमता आदि उम्र के हिसाब से निम्न स्तर की है। जैसे-जैसे हम उच्च षिक्षा की ओर बढ़ते हैं, पढ़ाई छोड़ने वालों की संख्या बढ़ जाती है, जब नालंदा की यह हालत है, तो हम दूसरे जिले की कल्पना खुद कर सकते हैं।
बिहार में 88000 विद्यालय है। स्कूली षिक्षा क्षेत्र में बिहार के छात्रों का हिस्सा राष्ट्रीय स्तर पर 10 प्रतिषत है।
नीति आयोग द्वारा हाल में षिक्षा संबंधी गुणवत्ता के लिये जारी 2019 के पैमाने पर 20 बड़े राज्यों के समूहों में बिहार का स्थान 17वाँ है।
बिहार में शुरूआती नामांकन 100 प्रतिषत होता है, लेकिन माध्यमिक स्तर तक यह 54 प्रतिषत हो जाता है।
2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार का साक्षरता दर 61.35 प्रतिषत है जिसमें पुरूषों में साक्षरता का प्रतिषत 6.32 प्रतिषत और महिलाओं का साक्षरता प्रतिषत 35.57 प्रतिषत, बिहार में 13.1 प्रतिषत निजी महाविद्यालय है। बिहार में महिला एवं पुरूष प्रध्यापकों का अनुपात 1.4 अगर प्रतिषत के हिसाब से देखा जाय तो इसमें 75.3 प्रतिषत पुरूष एवं 24.7 प्रतिषत महिला षिक्षक है।
बिहार के विष्वविद्यालयों में षिक्षकों की कमी, शोध के आधारभूत सरंचना का अभाव,समय पर वेतन के भुगतान में आये दिन रूकावट आदि ऐसे मामले हैं जिसने बिहार के षिक्षा व्यवस्था को हास्यास्पद स्थिति में ला दिया। नीतीष कुमार की सरकार द्वारा बिहार के विष्वविद्यालयों की बदहाली को ढकने के लिये कुछ विषिष्ट संस्थानों की स्थापना की है।

उच्च षिक्षा की स्थिति – बिहार में साक्षरता 63.8 प्रतिष है, जबकि पूरे देष का साक्षरता 74 प्रतिषत है।
 प्राथमिक विद्यालयों में 3 प्रतिषत षिक्षकों की कमी है।
 साक्षरता दर में वृद्धि के वाबजूद 62 प्रतिषत प्राथमिक विद्यालय के छात्र माध्यमिक विद्यालय की षिक्षा पूरी नहीं कर पाते हैं।
 छात्रों के लिये पर्याप्त क्लास रूम एवं षिक्षक नहीं हैं
 माध्यमिक विद्यालय में प्रति छात्र खर्च सबसे कम है।
 विद्यालयों के आधारभूत संरचना पर अपर्याप्त खर्च
 बिहार में नीतीष के नेतृत्व वाले जद(यू)-भाजपा का शासनकाल षिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े घोटालोें के रूप में जाना जाता है।
आधुनिक बिहार में उच्च षिक्षा के क्षेत्र में अपर्याप्त आधारभूत संरचना है इसके चलते षिक्षा की मांग और पूत्र्ति के बीच भारी अन्तर है। आज आमलोगों में उच्च षिक्षा की बढ़ती भूख के कारण बिहार से बड़ी संख्या में छात्रों का पलायन दूसरे राज्यों में हो रहा है। यहाँ तक कि स्नातक स्तर की षिक्षा के लिये भी बिहार के छात्र दिल्ली एवं कर्नाटक का रूख कर रहे हैं। बिहार में अचानक किये गये सर्वेक्षण में 37.8 प्रतिषत षिक्षक अनुपस्थित पाये गये। उच्चतर विद्यालयों में 20 प्रतिषत षिक्षक अनुपस्थित रहते हैं।
2 करोड़ 70 लाख 5 हजार छात्रों के लिये 50,000 षिक्षक हैं जिनमें 4 लाख षिक्षक ठेके पर कार्यरत है। मूलभूत आधारभूत संरचरना भी अपर्याप्त है। राज्य को कम से कम 60,000 ज्यादा क्लास रूम की आवष्यकता है।