शिक्षकों के नियोजन के बारे में शिक्षा मंत्री द्वारा दिया जाने वाल वक्तव्य, कोरे आश्वासन के सिवा कुछ नहीं है।
बिहार के शिक्षित, अशिक्षित युवा, युवतियाँ भीषण बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। ग्रामीण इलाके से महामारी के दौर में भी रोजगार के लिये भारी संख्या में पलायन, अत्यन्त चिन्ता का विषय है। दूसरी ओर शिक्षित बेरोजगार एक के बाद दूसरी परीक्षाओं की तैयारियों में लगे रहते हैं। नौकरी के लिये फार्म भरे जाने के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है। परीक्षाओं के बाद लम्बे अरसे तक परिणाम प्रकाशित नहीं होते हैं। परिणाम प्रकाशित होने तथा परीक्षा में उत्तीर्णता के बाद भी चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं होती है।
उपरोक्त परिस्थिति में इन युवक-युवतियों के सामने संघर्ष के अलावे कोई रास्ता नहीं बचता है। बिहार सरकार लगातार ऐसे आंदोलनकारियों के साथ न सिर्फ गैर-जनतांत्रिक व्यवहार करती है, बल्कि उनके आंदोलनों को कुचलने के लिये दमनात्मक कार्रवाइयाँ करती है। शिक्षक पात्रता उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के साथ इसी तरह का व्यवहार किया गया है।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य कमिटी राज्य के तमाम बेरोजगार नौजवान, युवतियों से एकजुट होकर सरकार के इस दमनात्मक रवैये के खिलाफ एकजुट संघर्ष और तमाम जनतांत्रिक शक्तियों, विद्यार्थियों से इन आंदोलनकारियों के समर्थन में अपनी आवाज उठाने का आह्वान करती है।