भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ) की बिहार राज्य कमिटी ने निम्नलिखित वक्तव्य प्रेस के लिये प्रसारित किया है-

राज्य में एक के बाद एक जहरीली शराब पीकर मरने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है। इन मरने वालों एव गिरफ्तार होने वालों में गरीब-गुरबों की तादाद सबसे ज्यादा है, जबकि शराब के अवैध धंधे के कारोबारियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है।

शराबबंदी के सवाल पर जद(यू) एवं भाजपा के बीच चलने वाला वाक्य-युद्ध न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि बिहार की जनता के साथ धोखाधड़ी है।

सीपीआई(एम) ने शराबबंदी का समर्थन करते हुए सरकार से शराब माफिया-पुलिस गठजोड़ को समाप्त पंचायत स्तर से सभी राजनैतिक दलों, सामाजिक कार्यकत्र्ताओं, नागरिक संगठनों, महिला संगठनों की निगरानी कमिटी बनाकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत पर जोर दिया था।

ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार में भाजपा-जद(यू) गठबंधन की सरकार नीतिगत मुद्दों पर एकजुट होकर काम नहीं कर रही है और शराबबंदी जैसे जनहितकारी फैसले पर आमलोगों को दिग्भ्रमित कर अपना राजनैतिक रोटी सेंकना चाहती है।

यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा जैसे दल शराबबंदी के पक्ष में नहीं है और वे इस कानून को वापस लेने के लिए वातावरण का निर्माण कर रहे हैं। दूसरी ओर नीतीश कुमार सिर्फ नौकरशाहो के बल पर समाज सुधार जैसे बड़े कार्य को डंडे के बल पर लागू करना चाहते हैं।