सीपीआईएम राज्य सचिव अवधेश कुमार ने निम्नलिखित प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है:

विधान मंडल के दोनों सदनों में प्रस्तुत महालेखाकार की रिपोर्ट से बिहार सरकार के विकास के दावे हवा-हवाई साबित हुए हैं।

महालेखाकार की रिपोर्ट से वित्तीय अनियमितताओं, योजनाओं को लागू करने में घपलों, घोटालों के साथ-साथ मजदूरों, दलितों, हासिये पर खड़े लोगों के लिये किये जानेवाले कार्यों की उपेक्षा एवं असंवेदनशिलता का शर्मनाक चेहरा उभर कर सामने आया है।
महालेखाकार के रिपोर्ट के अनुसार 60.88 लाख भूमिहीन मजदूरों के सर्वेक्षण के बाद मात्र 3.34 फीसदी लोगों को जाॅबकार्ड मिला। 22678 इच्छुक परिवारों में से सिर्फ 146 को जाॅबकार्ड मिले। विकलांग एवं वरिष्ठ लोगों में से मात्र 14 एवं 7 फीसदी लोगों को जाॅबकार्ड मिले। जाॅबकार्ड प्राप्त लोगों को रोजगार प्राप्त करने के आंकड़ और भी चैकाने वाले हैं। 100 दिन रोजगार मांगने वाले परिवारों में से मात्र 1 प्रतिशत लोगों को काम मिला। ऐसी स्थिति तब है जबकि कोरोना काल में भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है।
काग ने पौधा रोपन, पथों के निर्माण, सामुदायिक भवनों के निर्माण आदि में हुए घपलों, घोटालों की भी पोल खोलकर रख दी है। महालेखाकार के रिपोर्ट के आने के बाद बिहार सरकार पूरी तहह कठघरे में खड़ी है और इसने न सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा दिया है बल्कि घपला-घोटाला करनेवाले लोगों को संरक्षण भी दिया है।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी( मार्क्सवादी ) की बिहार राज्य कमिटी मांग करती है कि तमाम अनियमितताओं, घोटालों के लिये जिम्मेदार अधिकारियों, मंत्रियों के कार्यों एवं घपलों-घोटालों में संलिप्ता की उच्चस्तरीय जाॅच की जाय एवं आपराधिक मामले दर्ज किये जाँय क्योंकि आज इस सरकार की गड़बड़ियों के चलते ही बिहार विकास के सभी पैमानों पर अंतिम पायदान पर है।

नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बिहार को विकास मानदंडों पर निचले पायदान पर बताया था। सरकार उसे चुनौती दे रही थी, लेकिन महालेखाकार एवं संसद में दिये गये जवाब ने एकबार फिर से बिहार सरकार को आईना दिखा दिया है।

पार्टी राज्य की अपनी तमाम इकाइयों से अपील करती है कि वह केन्द्र एवं राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जारी अभियान एवं 9 अगस्त के प्रदर्शन महालेखाकार के रिपोर्ट में दर्ज मुद्दों को भी मांग एवं आंदोलन का हिस्सा बनाएं।

निवेदक
मनोज कुमार चंद्रवंशी