भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य कमिटी ने अपनी बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर, भारत सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण की नितियों के खिलाफ बैंक कर्मचारियों के तमाम संगठनों के संयुक्त आह्वान पर अगामी 15-16 मार्च को आयोजित देशव्यापी आम हड़ताल का भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा॰) की बिहार राज्य कमिटी पूर्ण समर्थन करते हुए भारत सरकार द्वारा उठाये जानेवाले आत्मघाती कदम का तीव्र विरोध करती है।
केन्द्र की प्रधानमंत्री मोदी की सरकार देष के प्राकृतिक एवं वित्तीय संसाधनों को एक-एक कर देश -विदेशी बड़ी कम्पनियों के हाथों सौंप रही है।
अबतक वित्तीय कम्पनियों के सार्वजनिक क्षेत्र में रहने से दुनियाँ भर में होनेवाले वित्तीय संकटों से देश बचता रहा है और आम जनता के बचत पैसों का उपयोग देश के आर्थिक विकास के लिये होता रहा। आमलोगों के बड़े हिस्सों तक बैंकिंग सुविधाएँ पहुँचाई गई। कृषि क्षेत्र एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास में सार्वजनिक बैंकों का भारी योगदान रहा। यहाँ तक कि जन-धन योजना के अन्र्तगत बड़े पैमाने पर खाता खोलने में बैंक कर्मचारियों ने जी-जान लगाकर काम किया। नोटबंदी से उत्पन्न स्थिति में कर्मचारियों के कार्य को सभी लोगों ने सराहा।
भारत सरकार ने इन तमाम सकारात्मक कार्यों की अनदेखी करते हुए, अपने चहेते पूंजीपतियों द्वारा लिये गये कर्जों को बट्टे खाते में डालकर बैंकों को अन्दर से खोखला बनाने का काम किया। मोदी जी की सरकार आज उन्हीं लुटेरों के हाथों खजाना की चाबी सौंपने जारी रही है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा॰) की बिहार राज्य कमिटी, राज्य के मजदूरों, किसानों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं, बुद्धिजीवियों, छोटे व्यापारियों एवं आमजनों से अनुरोध करती है कि वे देष के वित्तीय स्वायत्तता की रक्षा के लिये बैंक मजदूरों के हड़ताल को सफल बनाने में सहयोग करें।