भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा॰) के दो दिवसीय बैठक में पार्टी ने चुनाव के बाद की राजनैतिक घटनाक्रम की समीक्षा की, दिल्ली में महीना भर से चल रहे किसान आंदोलन में बिहार राज्य किसान सभा के दिल्ली चलों आंदोलन का पूर्ण समर्थन किया।

बिहार में ए॰पी॰एम॰सी॰ कानून की समाप्ति के बाद बिहार के किसानों के उत्पादों की खरीद की कोई व्यवस्था नहीं रह गई। बिहार के 80 प्रतिशत किसान अपना धान औने-पौने कीमत में बेच चुके हैं और अब जो बिहार सरकार धान खरीदने की बात कर रही है, उससे सिर्फ बिचैलियों को लाभ होगा। आज जबकि एक-एक सहयोगी भाजपा को छोड़कर भाग रहे हैं, उस समय बहुत बेशर्मी से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसान बिरोधी केन्द्र सरकार की पालकी ढो रहे हैं, अगर उनमें थोड़ी सी भी गरिमा बची हो तो, भाजपा का साथ छोड़कर किसान आंदोलन के पक्ष में खडे़ हों।
पार्टी ने भाजपा नेता सुषील मोदी द्वारा किसान आंदोलन के खिलाफ लगातार चलाये जा रहे दुष्प्रचार की कटु आलोचना करते हुए कहा कि किसान आंदोलन ने केन्द्र सरकार एवं भाजपा के कारपोरेटपक्षी चेहरे को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया। केन्द्र सरकार द्वारा बिजली संषोधन कानून एवं पराली जलाने के क्रम में भारी जुर्माना लगाये जाने के कदम को पीछे हटाने से, किसानों ने एक मोर्चे पर जीत हासिल की है और अभी तीनों काले कृषि कानूनों को हटाने की लड़ाई जारी है। सुशील मोदी और केन्द्र सरकार को अदानी-अम्बानी की दलाली छोड़कर किसानों की बात मानने के लिये बाध्य होना पड़ेगा।
पार्टी ने राज्य में गिरती कानून-व्यवस्था पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार की विफलता के खिलाफ राज्यव्यापी संघर्ष का आह्वान किया।
पार्टी ने अगामी पंचायत चुनाव में बड़े पैमाने पर हिस्सा लेने के लिये सभी जिलों में पंचायत का चुनाव कर, चुनाव की तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया।
पार्टी आने वाले महीनों में ग्रामीण स्तर से जन-समस्याओं पर संघर्ष तेज करेगी एवं पार्टी संगठन के विस्तार के लिये अभियान चलायेगी।
(अवधेश कुमार)
सचिव