बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने वर्तमान कृषि कानून की प्रंशसा करके देश में चल रहे किसान आंदोलन की माँगों के प्रति अपना किसान विरोधी रूख स्पष्ट कर दिया है। इसी सिलसिले में उन्होंने बिहार में ए.पी.एम.सी. कानून के खात्मे के बाद किसानों द्वारा अपने उत्पाद को स्वतंत्र रूप से बेचने की बात कहकर, बिहार के किसानों की दुर्दशा पर बेशर्मी से पर्दा डालने का काम किया है।
बिहार में 2006 में ए.पी.एम.सी. कानून के खात्मे के बाद से बिहार के किसान अपने उत्पादों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। इस खरीफ मौसम में सरकार द्वारा धान की खरीद अपने लक्ष्य से बहुत पीछे है। किसानों ने 1000 से लेकर 800 रू॰ प्रति क्वींटल, मजबूरी में अपना धान बेचा है, जबकि सरकारी खरीद मूल्य 1868 रू॰ प्रति क्वींटल है। बिहार के मुख्यमंत्री ने काले कृषि कानूनों की सराहना करके किसानों के गहरे जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य कमिटी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वक्तव्य की कठोर शब्दों में निन्दा करती है और बिहार के किसानों एवं आम जनता से इस किसान विरोधी सरकार के खिलाफ अपना संघर्ष तेज करने की अपील करती है।