भारत सरकार द्वारा गठित नीति आयोग द्वारा जारी विकास मानदंडों पर आधारित राज्यवार सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य के संबंध में जारी विकास का रिपोर्ट, बिहार सरकार के बिकास के बड़े-बड़े दावों की असलियत को जाहिर कर देता है। इसके पूर्व में जारी रिपोर्ट के अनुरूप ही जहाँ केरल सभी मानदंडो पर पहले स्थान पर है, वहीं बिहार पिछले रिपोर्ट की तरह ही सबसे निचले स्तर पर है।

इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद जद(यू) के प्रवक्ता द्वारा बिहार को विषेष राज्य का दर्जा दिये जाने का मुद्दा फिर से उठाया जा रहा है। इस बीच किसी भी कीमत पर सत्ता में बने रहने के लिये तथा भाजपा की नाराजगी से बचने के लिये नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

कोरोना काल, ने बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सभी जन पक्षी नीतियों की उपेक्षा एवं सरकारी पैसे के बंदरबांट के चलते, तथा कथित विकास के बड़े-बड़े दावों के खोखलेपन को न सिर्फ उजागर किया है, बल्कि नीतीश कुमार एक निहायत ही अक्षम, असंवेदनशील, सत्ता के लिये तमाम मूल्यों के सौदेबाज के रूप में आम लोंगों के सामने बेनकाब हुए है ा

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्सवादी) की सचिवमंडल की बैठक में नीति आयोग के रिपोर्ट पर चर्चा की और उसके आलोक में स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, मंहगाई आदि मुद्दों पर जन अभियान चलाकर, जन आन्दोलन के लिये, आम जनता को गोलबंद करने का निर्णय लिया। इस संबंध में पार्टी की राज्य कमिटी की आगामी बैठक 7 जून को होगी।

अवधेश कुमार
राज्य सचिव