भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा0) की बिहार राज्य कमिटी जम्मू कश्मीर में प्रवासी बिहारी एवं अन्य राज्यों के मजदूरों की नृषंस हत्या की कठोर शब्दों में निन्दा करती है।

धारा 370 एवं 35ए हटाने के बाद केन्द्र की भाजपा सरकार कश्मीर घाटी में शान्ति बहाल करने एवं आतंकवादी हमलों को समाप्त करने की बड़ी-बड़ी बातें करती रही है। हाल के सभी समुदायों के प्रवासी मजदूरों पर हुए हमलों एवं हत्याओं ने केन्द्र सरकार के दावों की पोल खोल दी है।

बिहार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा की सरकार बिहार के मजदूरों को राज्य की सीमा के अन्दर रोजगार मुहैया कराने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।

बिहार के मजदूर देश के हर कोने में अपना खून पसीना बहाकर रोजी-रोटी कमाते हैं लेकिन आज वे हर जगह असूरक्षित है। कश्मीर में हुए हमलों के पहले असम, महाराष्ट्र, गुजरात तथा अन्य राज्यों में भी बिहारी मजदूरों को निशाना बनाया गया है।

केन्द्र एवं विभिन्न राज्यों के पूँजीवादी क्षेत्रीय दलों द्वारा जिस तरह के विभाजनकारी नारों का इस्तेमाल अपनी संकीर्ण राजनीति के लिये किया जाता है, उसका दुष्परिणाम आज पूरा देश भुगत रहा है।

बिहार, राजग के 15 वर्षो के शासनकाल में भी पूरे देश के लिये सस्ता मजदूर मुहैया कराने वाला प्रदेश बना हुआ है। महामारी के दौरान हजारों बिहारी मजदूरों के घर वापसी का दिल दहलाने वाला दृश्य आज भी हमारे आंखों के सामने है।

पार्टी बिहार के युवाओं को संगठित होकर रोजगार के सवाल पर संघर्ष तेज करने का आह्वान करती है और सभी मृतकों के लिए पर्याप्त मुआवजे की माँग करती है।