कोरोना काल में मोदी नीतीश की सरकार ने खाद कंपनियों को खाद की कीमतों में करीब डेढ़ गुना कीमत बढ़ाने की इजाजत देकर किसानों पर बड़ा हमला किया है। अब डीएपी खाद का 50 किलो की बोरी ₹1200 की जगह अब उन्हें ₹1900 में और एनकेपीएस की बोरी ₹925 की जगह ₹1350 में मिलेगी।

प्राप्त खबरों के मुताबिक करीब 2 महीने पहले ही खाद उत्पादक कंपनियों ने फोस्फेटिक खादों ‌की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला लिया था ,लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखते हुए कंपनियों ने थोड़ा इंतजार किया।

आज एक तरफ बिहार में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कहीं भी गेहूं की खरीद नहीं हो रही है। खरीद की सरकारी घोषणा पूरी तरह झूठी और भ्रामक है। वहीं दूसरी तरफ खादों ‌की कीमतों में की गई बढ़ोतरी जले पर नमक छिड़कने जैसा है। यह मोदी सरकार का आपदा को अवसर में बदलने का ज्वलंत उदाहरण है।

सरकार का यह कदम घोर किसान विरोधी एवं कंपनियों को लूटने का अवसर प्रदान करने वाली है। सरकार का यह कदम किसानों का सम्मान है या बर्बादी?

पार्टी सरकार ‌की घोर किसान विरोधी नीतियों की ‌निंदा करती है और ‌मांग करती है की खाद कंपनियों द्वारा बढ़ाए गए कीमतों पर तुरंत रोक लगाई जाए एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य में गेहूं की खरीद की गारंटी सुनिश्चित की जाय।

अवधेश कुमार
राज्य सचिव