खाद्य सुरक्षा – भारत एक ऐसा देष है जहाँ 47.2 करोड़ लोगों को न्यूनतम मात्रा में भोजन प्राप्त नहीं होता है। इस आंकड़े आइने में हम बिहार की स्थिति का आकलन कर सकते हैं। चुकि सरकार इस संबंध में कोई आंकड़ा जारी नहीं कर रही है लेकिन 2017-18 के संचार माध्यमों में आंकड़े के चोरी छीपे प्रकाषित हो जाने से पता चलता है कि अब यह आंकड़ा 59 करोड़ तक पहुँच गया। अगर तालाबंदी के समय की बात करें तो यह आंकड़ा और ज्यादा हो जायेगा। एक सामुदायिक रेडियो, मोबाइल वानी द्वारा किये गये 1,737 परिवारों के बीच किये गये सर्वेक्षणों में बिहार के 89 प्रतिषत उत्तर दाताओं ने बताया कि उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा दिया जानेवाला मुफ्त राषन नहीं मिल है।
आज जबकि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में अनाज सड़ रहा है भारत और बिहार की सरकारों ने उसे गरीबों के बीच बांटने का काम नहीं किया।
ऐसी परिस्थिति में भारत सरकार ने आवष्यक वस्तु कानून को समाप्त कर खाद्य सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा पैदा कर दिया। यह बिहार जैसे राज्य के लिये जीवन-मरण का सवाल है। कृषि के संबंध में लाये गये तमाम कानूनों का नीतीष सरकार ने समर्थन करके अपना गरीब विरोधी चेहरा सामने ला दिया है।