बिहार सरकार द्वारा पूर्व में घोषित कोविड-19 से मरने वालों की संख्या में 72 प्रतिषत उछाल के बावजूद अभी भी बड़ी संख्या में मृतकों की संख्या का पता करना बांकी है। अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 से मरने वालों की सूचना सरकार के पास दर्ज नहीं की गई है। इसके साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में महामारी से मरनेवाले लोगों की संख्या के बारे में पता करने का कोई सरकारी प्रयास सामने नहीं आया है।
बिहार सरकार महामारी के शुरू होने से लेकर आजतक एक असंवेदनषील एवं गैरजिम्मेदार सरकार के रूप में काम करती रही है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की बदहाली की तमाम कहानियों के बीच बिहार की वर्तमान सरकार निर्लिप्त भाव से मौत का तांडव देखती रही और आज भी गलत आंकड़े पेष कर मृतकों के परिवारों को मुआबजा से भी वंचित करने में लगी हुई है।
इस बीच राजग का बड़ा घटक भाजपा, साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने के लिये बांका मदरसा में बम विस्फोट एवं पूर्णियाँ में दलितों पर अत्याचार का साम्प्रदायीकरण करने में लगा हुआ है। निष्चय ही इन घटनाओं को अंजाम देनेवाले व्यक्तियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये और उन्हें दण्डित किया जाना चाहिये। लेकिन इन घटनाओं की आड़ में भाजपा को अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को थोपने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
पार्टी मांग करती है कि-
कोविड-19 से मृत सभी मृतकों के आंकड़े प्राप्त कर मृतकों के परिवार को सरकारी मुआबजा दिया जाय।
भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर द्वारा दो धार्मिक समुदायों के बीच कटुता पैदा करने के अपराध में उन्हें गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाय।
बांका मदरसा में हुए बम विस्फोट एवं पूर्णियाँ में दलितों पर हुए हमलों की जाँच कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाय।
दलितों की बस्तियों को उजाड़ना बंद किया जाय और गृहविहीनों को आवासीय भूमि दी जाय।