बेहतर होता कि भाजपा के नेता श्री सुशील कुमार मोदी किसान आंदोलन को बदनाम करने के बदले, प्रधानमंत्री को सलाह देते कि किसान विरोधी तीनों कानून वापस ले लें और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम॰एस॰पी॰) को कानून बना दें, अन्यथा चल रहा किसान आंदोलन धीरे-धीरे देशव्यापी जन आंदोलन का रूप ग्रहण कर लेगा और केन्द्र सरकार को किसानों की मांगें पूरी करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में आयोजित ट्रेक्टऱ मार्च अभूतपूर्व और ऐतिहासिक रहा। उस दिन की घटना पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा।
बिहार में भी किसानों में जागरूकता आयी है, क्योंकि नीतीश सरकार के किसान विरोधी कदम के चलते राज्य के किसान बदहाल हो गये और कृषि क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण गरीब पलायन को विवश है। महागठबंधन द्वारा घोषित महात्मा गांधी के बलिदान दिवस के मौके पर राज्यव्यापी मानव श्रृंखला विराट और ऐतिहासिक होगा।
मानव श्रृंखला की तैयारी हेतु राजधानी समेत सभी जिलों एवं प्रखण्डों में वामदलों एवं महागठबंधन की संयुक्त बैठके सम्पन्न हो चुकी है। मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए विभिन्न ट्रेड यूनियनों, किसानों, खेतिहर मजदूरों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं, सांस्कृतिक कर्मियों, लेखकों की बैठकें भी चल रही है। मानव श्रृंखला को सफल बनाने हेतु आम जनता में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
सी॰पी॰आई॰(एम॰) की बिहार राज्य कमिटी बिहार की जनता से किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने और एम॰एस॰पी॰ को कानूनी रूप देने की मांग को लेकर मानव श्रृंखला को सफल बनाने का आह्वान की है।