सीपीआई(एम) राज्य सचिव अवधेश कुमार ने निंदा करते हुए कहा है कि आर.एस.एस. एवं उससे जुड़े तथाकथित इतिहासज्ञ, इतिहास को अपने एजेण्डे के रूप में गढ़ने में लगे हुए हैं। बिहार में सम्राट अशोक पर विवाद उसी एजेण्डे के अनुरूप है।
सभी लोग इस बात को जानते हैं कि मनुवादी सामाजिक ढाँचे में विश्वास करने वाले लोग बुद्ध धर्म के कटु आलोचक हैं, क्योकि बुद्ध ने भारतीय सामंती समाज के सबसे घृणित रूप ब्राह्मणवादी संरचना पर हमला किया, जो इस दौर में एक बड़ी सामाजिक क्रांति थी।

सम्राट अशोक खुद बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए और उसे देश-विदेश में फैलाने में सबसे अहम भूमिका निभाई। इतिहास के ऐसे व्यक्तित्व के प्रति आर.एस.एस. की घृणा स्वाभाविक है, जिसका प्रदर्शन दयानंद सिंह जैसे छुटभैये इतिहासकार के जरिये हो रहा है। आज देश के धर्मनिरपेक्ष जनतांत्रिक बुद्धिजीवियों के सामने आर.एस.एस. के साम्प्रदायिक मनुवादी एजेण्डे को देश पर थोपने की नीति के खिलाफ अपनी आवाज मुखर करनी होगी और आर.एस.एस. के साम्प्रदायिक-फासीवादी स्वप्न को चकनाचूर करना होगा । तभी देश के संविधान उसकी धर्मनिरपेक्षता एवं साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन में उभरे राष्ट्रीय मूल्यों को बचाया जा सकता है।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य कमिटी बिहार के धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक , बुद्धिजीवियों , इतिहासकारों, इतिहास के विद्यार्थियों एवं आमजनों से आह्वान करती है कि वे इतिहास को आर.एस.एस. की आँखों से देखने और उसे समाज पर थोपने की कोशिश को नाकाम करें।

निवेदक:
मनोज कुमार चंद्रावंसी।